बांदा। जहां पर भूरारे बाबा मंदिर प्रांगण का है जहां पर आज एक सुअर कोलाकर के पूजा कर भुरारे बाबा में नगर के सभी लोग प्रार्थना करते हुए एक गाय बछड़े को लाते जब तीन बार गाय सुअर से मारकर के अपने बछड़े को बचाती इसके बाद कार्यक्रम बुंदेली नृत्य दिवारी नृत्य करते हुए,शौर्य और बीरता का प्रतीक बुंदेलखंड की दिवारी नृत्य कला, कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ गाय चराने वाले ग्वाल-बालों ने इसकी शुरुआत की थी। https://shrimahakalloktv.com/?p=5559
गोवंश के खो जाने से रुठकर मौन हुए थे श्रीकृष्ण
गोवंश के खो जाने से रुठकर मौन हुए थे श्रीकृष्ण, तभी से ग्वालों ने शुरू की थी मौन धारण करने की परंपरा, इसी मान्यता के अनुरूप श्रीकृष्ण के भक्त मौन बृत रखकर दिवाली के एक दिन बाद 12 गांवों की परिक्रमा लगाते है।