हम होंगें कामयाब एक दिन,हम होंगे कामयाब एक दिन,हो हो मन में है विस्वास,पूरा है विस्वास गीत गया।
संगीत बना बाल विवाह के खिलाफ जागृति और प्रतिरोध का सुर
‘म्यूजिक फॉर चेंज’ पहल के अंतर्गत बाल विवाह के खात्मे के लिए सुरीले सुरों को बनाया हथियार
लक्ष्य 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाना
रायसेन/मंडीदीप।
‘बाल विवाह मुक्त भारत’अभियान के अंतर्गत ‘म्यूजिक फॉर चेंज’ के अंतर्गत कैलास सत्यार्थी चिल्ड्रन फॉउंडेशन के साथ जिले में कृषक सहयोग संस्थान के युवाओं ने नगर के एक पार्क में एकत्र होकर सामूहिक गाना गाया। संगीत के जरिए युवओं ने सामूहिक गीत गाकर बाल विवाह के विरोध में सन्देश दिया। जोशीले गीत में बाल विवाह को भारत से खत्म करने के लिए एकजुट हो विरोध के स्वर उठाने संघर्ष करने का आह्वान किया गया। अंत मे हम होंगे कामयाब एक दिन गीत गाकर सफलता की सुनिश्चितता का आगाज किया।
जानकारी देते हुए अभियान के जिला समन्वयक अनिल भवरे ने बताया कि यह अभिनव पहल ‘बाल विवाह मुक्त ‘भारत’ अभियान का हिस्सा है। बदलाव और क्रांति के गीतों से पूरे देश में बाल विवाह के खिलाफ एक मूक लेकिन ताकतवर क्रांति की चिनगारी दावानल की तरह फैल रही है। ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ देश भर के समस्त गैर सरकारी संगठनों की एक साझा पहल है। महिलाओं की अगुआई में इस अनूठे जमीनी अभियान का लक्ष्य 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाना है।
गीतों में दिखा,आक्रोश,स्थानीय कलाकर दे रहे सुर- अभियान के जिला समन्वयक अनिल भवरे ने बताया कि यह अपनी तरह के पहले और सबसे बड़े अभियान में पहली बार भारत के कोने-कोने में विभिन्न भाषाओं और विविध बोलियों में गांव-देहात के अनगढ़ कलाकार संगीत के माध्यम से बाल विवाह के खिलाफ साझा सुर में आवाज उठा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ‘म्यूजिक फॉर चेंज’ जैसी अभिनव पहल में युवाओं और महिलाओं की बढ़-चढ़ कर भागीदारी यह दिखाती है कि अब उन्होंने तय कर लिया है कि कानूनी तौर पर अपराध होने के बावजूद बाल विवाह का चलन भले हो लेकिन वे अब इस सामाजिक बुराई का हिस्सा नहीं बनेंगी। दूरदराज के गांवों में आधी आबादी की आवाज घूंघट और रिवाजों की ओट में दबा दी गई हो। लेकिन अब वे गानों के जरिए यह बता रही हैं कि वे अपने बच्चों का जीवन बाल विवाह से बर्बाद नहीं होने देंगी।
प्रतिशोध को स्वर दे रही महिलाएं-
न सिर्फ शहर गांव आदिवासी इलाकों की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर किशोरों और बाल विवाह की शिकार महिलाएं आगे बढ़ कर इस पहल में शामिल होकर सिर्फ बातों से ही नहीं बल्कि संगीत के जरिए अपने प्रतिरोध को स्वर दे रहे हैं। कृषक सहयोग संस्थान के निदेशक डॉ एच बी सेन ने कहा कि हमारा देश सांस्कृतिक विविधताओं से भरा है। जहां सबकी भाषा,बोली,रीतिरिवाज,सांस्कृतिक परिवेश और सोचने के तरीके अलग हैं। इसलिए हम सभी संगीत के जरिए अपने गानों में देश को बाल विवाह से मुक्त करने का संदेश दे रहे हैं। संगीत सबको जोड़ता है और संगीत के जरिए लोगों तक पहुंचा संदेश सबसे प्रभावी होता है। हम बाल विवाह के कानूनी और नैतिक दुष्परिणामों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैला रहे हैं। अपनी बात लोगों तक स्पष्ट रूप से पहुंचाने के सबसे प्रभावी माध्यम के रूप में संगीत का उपयोग कर रहे हैं। संस्था की रेखा श्रीधर ने बताया कि मूल रूप से गाने के बोल सभी से बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहते हैं कि आपके पास जो भी है,उसे ही बाल विवाह के खात्मे का औजार बना लें।
इन संगठनों को यह आजादी दी गई थी कि वे स्थानीय परिवेश के हिसाब से गाने के बोल में बदलाव कर सकते हैं।