दमोह। मध्यप्रदेश के दमोह के नागमणि गांव में एक अनोखी परंपरा प्रचलित है। नागपंचमी के दिन गांव में किसी भी घर में पकवान नहीं बनाए जाते और न ही किसी घर में कढ़ाई चढ़ती है।
दमोह जिले के पटेरा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले नागमणि गांव में नागपंचमी के दिन एक चूल्हे पर कढ़ाई नहीं चढ़ती। यदि किसी ने चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ा दी तो तत्काल काले सांप प्रकट हो जाते हैं। इस गांव में सैकड़ों की संख्या में काले नाग घूमते रहते हैं, लेकिन आज तक किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। वर्षों से इस गांव के लोग अपने पूर्वजों की परंपरा को निभाते हुए नाग पंचमी के दिन मंदिर में जाकर दाल, बाटी बनाकर नागदेव को भोग लगाते हैं। इस दिन गांव के किसी भी घर में चूल्हे पर कढ़ाई नहीं चढ़ाते और न ही पकवान बनाते हैं। बताया जाता है कि कई वर्ष पहले किसी महिला ने पकवान बनाने का प्रयास किया था तो उसके घर में सैकड़ों की संख्या में नाग निकल आए थे। डरे सहमे लोग मंदिर पहुंचे और नागदेव से माफी मांगी तो घर से सभी नाग जमीन में समा गए। गांव के लोगों का मानना है कि उनके गांव के लोगों की रक्षा स्वयं नागदेव करते हैं इसलिए गांव का कोई भी व्यक्ति नाग देखकर भयभीत नहीं होता। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उनके गांव में नागदेव के जोड़े की प्रतिमा है और उनके गांव का नाम भी नागमणि है। उनके पूर्वजों ने नागदेव की शक्ति का आभास किया है इसलिए वह लोग भी अपने पूर्वजों की मान्यता का पालन कर रहे हैं। इस गांव की यह भी मान्यता है कि कई साल पहले नागपंचमी के दिन किसी ने घर में पकवान बनाने के लिए चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ाई थी तो उसमें एक नाग गिरकर मर गया था तब से इस गांव में नागपंचमी पर कढ़ाई नहीं चढ़ाई जाती।