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श्री महाकाल लोक के सम्पूर्ण दर्शन

जानें महाकाल को क्यों चढ़ाई जाती है भस्म

ByShri Mahakal Lok TV

Aug 2, 2023
UJJAIN, INDIA - JULY 13: Lord Mahakaleshwar is beautified with the Bhasma during at the time of Aarti by Naga sadhus on the first day of holy month of Sawaan on July 13, 2014 in Ujjain, India. Mahakala is the Lord of time and Death. One of the 12 jyotirlingas in India, the lingam at Mahakal is believed to be swayambhu (born of itself) deriving currents of power (shakti) from within itself as against the other images and lingams which are ritually established and invested with mantra-shakti. (Photo by Sunil Magariya/Hindustan Times via Getty Images)

किवदंतियों के अनुसार पौराणिक काल में दूषण नाम के राक्षस ने उज्जैन नगरी में तबाही मचा दी थी। तब लोगों ने भगवान शिव से इस प्रकोप को दूर करने की विनती की। भगवान शिव ने दूषण का वध किया और नगरवासियों के आग्रह पर यहीं महाकाल के रूप में बस गए। मान्यता यह है कि बाबा भोलेनाथ ने दूषण के भस्म से अपना श्रृंगार किया था। इसलिए आज भी महादेव का भस्म से श्रृंगार किया जाता है। बता दें कि यह पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव की दिन में 6 बार आरती की जाती है। लेकिन दिन की शुरुआत भस्म आरती से ही होती है।
जो महाकाल का भक्त, काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता
एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि भगवान शिव को भस्म धारण करते हुए केवल पुरुष ही देखते है। महिलाओं को उस वक्त घुंघट लेना अनिवार्य है, जिन पुरुषों ने बिना सीला हुआ सोला पहना हो वही भस्म आरती से पहले भगवन शिव को को जल चढ़ाकर छूकर दर्शन कर सकते है।कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता, साथ ही प्रत्येक वर्ष के हर एक त्योहार बाबा के प्रांगण में ही सर्वप्रथम मनाने की परंपरा है।

नाम से जुड़ा है रहस्य
कहते हैं महाकाल का शिवलिंग तब प्रकट हुआ था, जब राक्षस को मारना था। उस समय भगवान शिव राक्षस के लिए काल बनकर आए थे। फिर उज्जैन के लोगों ने महाकाल से वहीं रहने को कहा, और वह वहीं स्थापित हो गए। ऐसे में शिवलिंग काल के अंत तक यही रहेंगे इसलिए भी महाकालेश्वर नाम दे दिया गया।

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