मोगा। जिले के मट्टा वाली बस्ती में हलात उस समय तनावपूर्ण होते होते शांत हो गया। जब तहसीलदार लखविंदर सिंह ने अपनी सूझ बुझ से प्रापर्टी का कब्जा लेने आये प्रापर्टी मालिक को साइड पर कर दिया। बता दें कि, मट्टा वाली बस्ती में करीब 44 मरले जगह नरिंदर कुमार तुली को पाकिस्तान से रिफ्यूजी के तोर पर क्लेम द्वारा मिली थी। उसमें से कुछ जगह उन्होंने बेच दी थी। और कुछ जगह किराये पर दी थी। पहले उन्हें किरायेदार किराया देते रहे। लेकिन जब नरिंदर तुली का परिवार 1988 में दिल्ली शिफ्ट हो गया।
पुलिस और वेलफ के साथ कब्ज़ा दिलाने पहुंचे
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उसके बाद किरायादारों ने उन्हें किराया देना बंद कर दिया। और उस प्रापर्टी को अपनी मिलकियत बताने लगे। जिसके बाद केस अदालत में शुरू हुआ। करीब 30 साल चले केस में उस प्रापर्टी का मालिकाना हक नरिंदर तुली के नाम साबित हुआ। जिसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत को कब्जा दिलाने के आदेश दिए। उन्हीं आदेशों का पालना कराने मोगा के तहसीलदार, पुलिस और वेलफ के साथ कब्ज़ा दिलाने पहुंचे। जहां हालात तनावपूर्ण हो गए। जिसके बाद तहसीलदार पुलिस अमले और वेलफ के साथ बिना कब्ज़ा दिलाये वापस चले गए।