उज्जैन। उज्जैन में 21 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आने से आंवला नवमी मनाई जाएगी। इस दौरान आंवले के वृक्ष का पूजन किया जाएगा। इस नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता श्री महालक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे शिव और विष्णु जी का पूजन किया था। मालवा में इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर लोग भोजन भी करते हैं।
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उल्लेखनीय है कि आंवले के वृक्ष का पर्यावरण में बहुत महत्व है
उल्लेखनीय है कि आंवले के वृक्ष का पर्यावरण में बहुत महत्व है। इससे बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन प्राप्त होती है वहीं औषधीय गुण अधिक होने से आंवला आयुर्वेद में और दादी नानी के नुस्खों में अपना विशेष महत्व रखता है। उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में संजीवनी वृंद में बड़े पैमाने पर आंवले के वृक्ष देखने को मिलते हैं। आंवले के ये वृक्ष, इन पर बरबस निगाह पड़ते ही लोगों की सारी थकान तक मिटा देते हैं।