उज्जैन। 6 सितंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। हालांकि ज्योतिषीयों के मतानुसार इसी दिन सप्तमी तिथि भी है तो वहीं रात के समय जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी, बावजूद इसके धार्मिक मान्यता अनुसार 6 सितंबर को कालाष्टमी भी मनाई जा रही है।
ज्योतिषियों ने बताया कि कालाष्टमी पर्व महादेव को समर्पित होता है। कालाष्टमी के दिन रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। इस दिन तंत्र मंत्र सिद्धि प्राप्त साधक निशा काल में काल भैरव की पूजा करते हैं। यह दिन काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए विशेष माना जाता है। मान्यता है कि कालाष्टमी पर भगवान शिव की पूजा करने से सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी, जो कि 7 सितंबर को संध्या 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। काल भैरव की पूजा निशा काल में होती है। इस प्रकार 6 सितंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा निशा काल में ही की जाती है। इस दिन प्रातः काल में स्नान-ध्यान के बाद ही पूजा करें। ब्रह्म बेला में उठकर, दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके पश्चात, षोडशोपचार कर काल भैरव की पूजा करें। इस समय शिव चालीसा, शिव स्त्रोत पाठ और मंत्र जाप करें। पूजा के आखिर में काल भैरव से अपनी कामना कहें। विशेष कार्यों की सिद्धि के लिए व्रत भी रख सकते हैं। इसके बाद निशा काल में पुनः विधि-विधान से भैरव देव की पूजा करें।