ग्वालियर। फूलबाग स्थित ऐतिहासिक राधा-कृष्ण गोपाल मंदिर नगर की नहीं अंचल का इकलौता ऐसा मंदिर हैं, जिसकी मिल्कियत में 100 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत के एंटीक जवाहरतों के गहने हैं। इन गहनों से जन्माष्टमी पर इन आलोकिक गहनों से भगवान श्रीकृष्ण व राधारानी का मनोहरी श्रृंगार किया जाता है।
भगवान राधा-कृष्ण के दिव्य दर्शनों के लिये जन्माष्टमी पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं दर्शन के लिये पहुंचते हैं। यह मंदिर सौ वर्ष से अधिक प्राचीन व भव्य है। मंगिर का गर्भगृह का निर्माण भी तत्कालीन ग्वालियर रिसायत के महाराज प्रथम माधवराव सिंधिया ने कराया था। भगवान राधा-कृष्ण मंदिर के लिये ग्वालियर स्टेट ने श्रृंगार के लिये बेश्कीमती गहने बनवाये थे। और पूजा-अर्चना के लिये चांदी के बर्तनों का निर्माण कराया था। मंदिर के गहनों में भगवान श्रीकृष्ण की सोने की हीरे जड़ित बासुरी भी है। रियासत काल में सांप्रदायिक सदभाव की अदभूत मिसाल के रूप में डेढ़ सौ मीटर की दायरे में मोती मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे के साथ गोपाल मंदिर का निर्माण एक ही कैंपस में कराया गया था। इस अदभूत गोपाल मंदिर से श्रीकृष्ण लोगों की अटूट श्रद्धा और विश्वास है गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने करवाई थी। नगर के मध्य पर फूलबाग पर स्थित गोपाल मंदिर में दिव्य स्वरूप में गोपाल जी अपनी प्रिय राधा जी के साथ विराजमान है। वर्तमान यह मंदिर नगर निगम की निगरानी में है। और गहने भी एक तरह से ग्वालियर नगर की मिल्कियत हैं। इन गहनों का उपयोग जनाष्मटी के दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाकर से निकालकर मंदिर श्रृंगार के लिये लाया जाता है। और दूसरे दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाकर में रख दिया जाता है।