लाबरिया। संत व गौभक्तों का सम्मेलन लाबरिया गौशाला में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर मोहन दास जी राधे राध ने कि। मुख्य अतिथि श्री महामंडलेश्वर कृष्ण दास जी महाराज बगलामुखी पीठाधीश्वर खाचरोद, पूर्व विधायक वेलसिंह भूरिया, मंडल अध्यक्ष अमृत पायल, जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि देवा भाई, उपाध्यक्ष प्रतिनिधि कालू बन्ना, जनपद सदस्य नारायणगुड़ा, बोडिया पंचायत के पूर्व सरपंच विजय डामर, गौ रक्षा समिति के संयोजक नरेश राजपुरोहित, राजगढ़ गोगा देव मंदिर के संत, भागीरथ बाकरेचा आदि मंचासीन थे। उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव आवश्यक कार्य आ जाने से कार्यक्रम में उपस्थित नही हो सके, उनके द्वारा 50 लाख रुपए देने की घोषणा 15 अगस्त को कर दी गई थी। सुबह 9बजे से श्री राम मंदिर पर गौ भक्तों का आना शुरू हो गया था। 10 बजे के लगभग संत व गौ माता की शोभायात्रा गौभक्तों द्वारा गांव में निकली गई।जिसमें बड़ी संख्या में जिले की गौशालाओ के गौभक्त शामिल होकर ढोल धमाकों व नाच गान के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली। क्योंकि गौशाला पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हुई। इस अवसर पर आदर्श गौ रक्षा समिति धार के जिला अध्यक्ष रामचंद्र करोड़ीवाल ने स्वदेशी अपनाने का संकल्प दिलवाया और कहा कि गाय के गोमूत्र से बना हुआ शैंपू, साबुन,बर्तन साफ करने का साबुन,मच्छर भगाने की टिकिया आदि प्रोडक्ट तैयार किए गए जा रहे हैं यह प्रोडक्ट केमिकल से पूर्ण रूप से मुक्त है आज हम यह संकल्प ले की स्वदेशी अपनाएगे।और गोमूत्र से बने उत्पाद का उपयोग कर गाय की रक्षा में सहयोग करेंगे।
गोरक्षा समिति के संरक्षण श्री नरेश राजपुरोहित ने कहा कि इतना उत्साह आज तक मैंने नहीं देखा जो भाव आज मैंने गांव में देखा है वह शहर में दिखाई नहीं देता है। गौ माता के प्रति जन जागरण लाना आवश्यक है मनुष्य तो अपना काम जैसे तैसे कर लेता है लेकिन यह अमुक गौमाता अपनी बात कैसे कहे। आज सबसे ज्यादा सम्मान उन सदस्यों का होना चाहिए जो गौमाता की सेवा करता है। गौ माता की सेवा करना आसान काम नहीं है रात की 2 बजे भी अगर कोई फोन आता है तो उठ कर जाना पड़ता है। जिले के गौभक्त बड़ी संख्या में आज यहां आए हैं। वे अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं मैं कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत साधुवाद देता हूं। उन्होंने बताया कि कई वर्षों तक यह गौशाला विवादों में पड़ी रही लेकिन अब विवाद खत्म हो चुका है।यह गौशाला जिले की नम्बर एक गौशाला बनने जा रही है। यहां कोई राजनीतिक मंच नहीं है सभी लोग गौ भक्त और सेवक है। यहां पर संत समागम व गौभक्त सम्मेलन हमारा पहला प्रयास है। हर दो माह के अंदर 42 गौशाला में यह सम्मेलन का क्रम जारी रहेगा। उन्होंने कहां की गौशाला शासन के भरोसे नहीं चलाई जा सकती है गौशाला में जनता की भागीदारी व संतों का आशीर्वाद के बिना गौशाला नहीं चलाई जा सकती है।
श्रीकृष्ण दास जी महाराज बगलामुखी धाम के पीठाधीश्वर खाचरोद ने कहा कि मेरे द्वारा 16 राज्यों में गौशालाओं की देखरेख की जा रही है हम शासन से गौशाला का 24 माह का बकाया राशि का भुगतान शीघ्र करने की मांग करते हैं। आज का कार्यक्रम मिल का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि गाय के रोम रोम में देवताओं का वास है गाय के अंदर 33 कोटि देवता विराजमान है। जिस पर गौ माता का आशीर्वाद रहेगा वह पूरे विश्व पर शासन करेगा। जिस गाय को माता मानते हैं उसका संरक्षण जरूरी है। गाय का संरक्षण होगा तो हमारा परिवार भी सुरक्षित रहेगा। मध्य प्रदेश शासन द्वारा 406 एम्बुलेंस गौशालाओं को उपलब्ध करवाई गई है यह शासन की अच्छी योजना है। गाय को बचाना हमारा कर्तव्य है गाय माता, राष्ट्र माता हो यही हमारी मंशा है।
महामंडलेश्वर मोहनदास जी राधे राधे बाबा अपने आशीर्वचन कहां की भारतीय वैदिक परंपरा में जीस गौ माता की पूजा करते हैं जब तक समाज साथ में नहीं तब तक शासन की व्यवस्था के अनुसार गौशालाएं नहीं चल सकती। यह बिल्कुल अटल सत्य है क्योंकि जब समाज जागृत होता है तभी गौशालाएं अग्रसर गति प्राप्त करती है। जिनके ऊपर गौ माता,अपने पूर्वजों व महापुरुषों की कृपा होती है वही गौ माता की सेवा करते हैं।भारत देवभूमि एसी है जिसके अंदर हर जीव को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।भारत ऐसी देवभूमि है जिसे भारत माता कहा जाता है। भारत के अंदर तीन माता को बड़ा आदर्श दर्जा प्राप्त है। एक माता जो पैदा करती है दूसरी वह जो भारत देव की भूमि पर पैदा हुए वह मां तथा तीसरी गौ माता है जिसके अंदर 33 करोड़ देवी देवता के दर्शन करते हैं।अपन लोग यज्ञ,अनुष्ठान,कथा करवाते हैं उससे जो फल प्राप्त होता है वही फल एक गाय माता की सेवा करते अनेकों अनेक कथा,यज्ञ का फल प्राप्त होता है। हमें कम से कम एक गाय की सेवा करने का संकल्प लेना होगा। यज्ञ,अनुष्ठान व कथा परलोक बनाती है लेकिन गाय की सेवा ही एक ऐसी सेवा है जो लोग भी बनाती है और परलोक भी बनाती है।जब गौ माता बछड़े को जन्म देती है तो वह जन्म से मां शब्द पुकारता है वहीं से मां शब्द की उत्पत्ति हुई है। गौ माता की सेवा करने से जो फल प्राप्त होता है वह फल चारों धाम करने से भी प्राप्त नहीं होता है। संचालन उपसरपंच नारायण भट्ट द्वारा किया गया वही आभार भागीरथ बाकरेचा ने माना।