इस समय सावन का पवित्र महीना चल रहा है। भगवान शिव को कालों के काल महाकाल कहा जाता है। धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने अवतार लिए हैं। भगवान शिव की गिनती त्रिदेवों में होती है। शिव जी को तंत्र-मंत्र का अधिष्ठात्री देवता कहा जाता है। भगवान शिव ने दुष्ट असुरों का संहार करने के लिए समय-समय पर कई अवतार लिए हैं। कुछ अवतार भोलेनाथ ने देवताओं का अभिमान तोड़ने के लिए भी लिए हैं। धर्म-शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने 19 अवतार लिए हैं। इनमें से कुछ अवतार काफी खास हैं। शिव जी के दो अवतार ऐसे हैं, जो आज भी जीवित हैं।
माना जाता है कि भगवान शिव के अवतारों में से एक हनुमान जी आज भी जीवित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवताओं और दानवों के बीच विष्णु जी के मोहनी रूप से द्वारा अमृत बांटा जा रहा था, तो भगवान भोलेनाथ मोहिनी रूप को देखकर मोहित हो गए थे। सप्त ऋषियों ने भोलेनाथ जी के वीर्य को कुछ पत्तों पर इकट्ठा कर लिया। बाद में समय आने पर इसी वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से उनके गर्भ में स्थापित किया गया। इस तरह भगवान राम के भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ। कहा जाता है कि भगवान हनुमान को 1000 से भी अधिक हाथियों का बल प्राप्त था। साथ ही उन्हें भूत-प्रेत का काल और संकट मोचन कहा जाता है। हनुमान जी की भक्ति देखकर माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था और आज भी हनुमान जी जीवित हैं। भगवान शिव के पांचवें अवतार को अश्वत्थामा का नाम दिया गया था। यह अवतार गुरु द्रोणाचार्य के घर उनके पुत्र के रूप में हुआ था। द्रोणाचार्य ने भगवान भोलेनाथ को पुत्र के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी और भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उनके पुत्र के तौर जन्म लेने का वरदान दिया था। साथ ही अश्वत्थामा को भी अमरता का वरदान मिला था। माना जाता है कि आज भी अश्वत्थामा धरती पर विचरण कर रहे हैं।