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श्री महाकाल लोक के सम्पूर्ण दर्शन

राष्ट्रीय स्वर्णकार विवाह मंच के संस्थापक संचालक राजकुमार सोनी ने समाज के प्रति जताई चिंता।
माता-पिता दे ध्यान तो बस सकता है लड़के और लड़कियों का घर।



रायसेन – 21वीं सदी में हर समाज हर धर्म में परिवर्तन देखने को मिला है लेकिन कहीं कुछ ऐसे परिवर्तन भी देखने को मिले हैं कि लोगों ने संबंध बनाना तो दूर निभाना भी खत्म कर दिया है। रिश्ते नाते जहां सालों साल चलते थे तीज त्योहार पर आना जाना लगा रहता था और डिजिटल इंडिया ना होने के बाद भी प्रेम भाव से लोग हालचाल पूछने बसों, ट्रैक्टर ट्राली और तो और बैल गाड़ियों से लोग एक जमाने में पहुंचते थे। लेकिन आज हर एक सुविधाएं होने के बाद धीरे-धीरे प्रेमभाव और समाज के लोगों को अपने कामकाज से फुर्सत ही नहीं बची है। वही देखने में आ रहा है कि सुख सुविधाएं और हर चीज में स्टैंडर्ड में इतना बदलाव ला दिया है कि लोग अपनी उम्र को ही भूल गए हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वर्णकार विवाह मंच ऐसा मंच है जो रिश्तो को जोड़ने एवं संबंध कराने में विगत वर्षों से तात्पर्य है। लोग जहां खटास डालने और एक दूसरे की बुराई करके घर तोड़ने में अपना काम करते हैं वहां राष्ट्रीय स्वर्णकार विवाह मंच की टीम बायो प्रसारण के माध्यम से आए दिन संबंध कराने में लगे हुए हैं। राष्ट्रीय स्वर्णकार विवाह मंच के संस्थापक संचालक राजकुमार सोनी ने लेख लिखकर अपने स्वर्णकार समाज के प्रति चिंता जाहिर की है उन्होंने लिखा है कि माता पिता की अति महत्वाकांक्षा से 35-40 उम्र की कुँवारी लड़कियाँ घर बैठी हैं। अगर अभी भी माँ-बाप नहीं जागे तो स्थितियाँ और घातक हो सकती है। हमारा स्वर्णकार समाज आज बच्चों के विवाह को लेकर इतना सजग हो गया है कि आपस में रिश्ते ही नहीं हो पा रहे हैं। स्वर्णकार समाज में आज 40 उम्र तक की बहुत सी कुँवारी लडकियाँ घर बैठी है, क्योंकि इनके सपने हैसियत से भी बहुत ज्यादा है इस प्रकार के कई उदाहरण है। ऐसे लोगों के कारण समाज की छवि बहुत खराब हो रही है। सबसे बड़ा मानव सुख, सुखी वैवाहिक जीवन होता है। पैसा भी आवश्यक है, लेकिन कुछ हद तक। पैसे की वजह से अच्छे रिश्ते ठुकराना गलत है। पहली प्राथमिकता सुखी संसार व अच्छा घर परिवार होना चाहिये। ज्यादा धन के चक्कर मे अच्छे रिश्तों को नजर- अंदाज करना गलत है। संपति खरीदी जा सकती हैं लेकिन गुण नहीं। राष्ट्रीय स्वर्णकार विवाह मंच का मानना है कि घर परिवार और लड़का अच्छा देखें लेकिन ज्यादा के चक्कर में अच्छे रिश्ते हाथ से नहीं जाने दें। सुखी वैवाहिक जीवन जिए 30 की उम्र के बाद विवाह नहीं होता, समझौता होता है और मेडिकल स्थिति से भी देखा जाए तो उसमें बहुत सी समस्याएँ उत्पन्न होती है।

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