ग़बन घोटाले और भृष्टाचार पर चौंकाने वाले खुलासों और पेचीदगी ने पुलिस को थकाया….
संजय व्यास पर मेहरबानी का सबब…..????
सीबीआई जाँच के दायरे में नहीं 15 करोड़ से आगे बढ़ रहा घोटाला….
केंद्रीय भैरवगढ़ जेल उज्जैन के ग़बन घोटालों के मामले में अब हैरान परेशान पुलिस एसआईटी भी थकीमांदी नज़र आने लगी है, और देखा जाए तो इतना बड़ा मामला स्थानिय एसआईटी के बस की बात भी नहीं है। वैसे भी 5 करोड़ से बड़े कांड में एसआईटी को जाँच का क़ानून हक़ भी नहीं है और वैसे भी ये मामला अब 15 करोड़ से बड़ा होते होते कम से 30 से 40 करोड़ पार जाने की उम्मीद है। लेकिन मामले की जाँच के पेंच में दोषियों और आरोपियों के साथ सरकारी अफसरशाही और प्रभावशाली लोगों का जुड़ाव कहीं ना कहीं निष्पक्षता को आघात भी पहुँचा रहा है। घोटाले की मुख्य सरगना पूर्व जेल अधीक्षक उषा राज के सम्बंध जेल के अफसरों के साथ नेता गिरी में बताए जाते हैं जो जाँच की आँच को हक़ीकत और अंत तक शायद ही जाने दें। गैंग का दूसरा सदस्य रिपुदमन जिसके पारिवारिक ख़ाकी धारी पुलिस में सेवा दे रहे हैं और तो और एसआईटी में भी मौजूद हैं जो जाँच की निष्पक्षता पर संदेह तो डालेंगे ही। एक पूर्व जेल अधीक्षक का कार्यकाल भी इस कांड की गिरफ़्त में आया है लेकिन उनके पति पुलिस में आला अफसर हैं तो उनसे अब तक पूछताछ तक नहीं हुई है। कोषालय से जुड़े तारों का कनेक्शन इस मामले से अब तक कटा हुआ है क्यों वो जिलाधीश के अधीन है ऐसे में जाँच का करंट वहां के तारों में शुरुआती दौर के बाद पहुंचा ही नहीं है।बैंकों को जाँच से अछूता रखा गया है जबकि इस मामले से जुड़े सभी कर्ताधर्ताओं और सटोरियों के खाते एसबीआई की सेठी नगर शाखा में इन्हीं दो सालों में जगदीश परमार ने ही खुलवाएँ हैं। एसआईटी जेल के प्रमुख रहे डीआईजी मंशाराम पटेल की मंशा शुरू से भाई-बहन उषा राज और जगदीश परमार के प्रति सॉफ्ट रही है जो जगज़ाहिर भी हुई है हमने ही की है। घोटालों की काली राशि सटोरियों के मार्फ़त सफेद करने के मामले में भी सटोरियों के मधुर सम्बंध पुलिस से सामने आ रहे हैं। वहीं इस मामले के आरोपी जगदीश परमार से पुलिस अधिकारियों की नजदीकियों की तस्वीरें सोशल और प्रिंट मीडिया में खूब चल रही है ऐसे में क्या और किसकी और कैसी जाँच पड़ताल होगी ये समझना नासमझी ही होगी। जबकि ये बड़ा आर्थिक अपराध का मामला है तो इसे सीबीआई को सौंपा जाना ही बेहतर है। लेकिन ऐसा नहीं होना आश्चर्य का विषय है।
इधर इस जाँच ने एसआईटी प्रमुख के साथ ही टीम के सदस्यों को छका और थका दिया है। वो मीडिया से ही चिड़चिड़ाने लगे हैं क्योंकि मीडिया के तथ्य परक सवालों का इनके पास कोई जवाब नहीं है। अभी तक 15 करोड़ के घोटाले में चार लाख की रिकवरी ही हो पाई है।
भोपाल के चौपहिया वाहन में आए दौ पाए कौन…???
मंगलवार को दोपहर में भैरवगढ़ थाने में एक भोपाल की चौपहिया गाड़ी में दो अपटूडेट दौ पाए आए और जगदीश परमार को हवालात से बाहर निकाल के काफी देर उसके गले में हाथ डाल कर उससे बतियाते रहे। सूत्रों का कहना है कि या तो ये भोपाल के किसी बड़े सरकारी दफ़्तर (सम्भवतः ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त) से आए थे या फिर ये कोई बड़ी माफिया गिरोह से थे। हालांकि रात को जब कुछ पत्रकार थाने पहुंचे तो थानापति प्रवीण पाठक ने बात करने से सिरे से मना कर दिया।
दो का डिमांड पर रिमांड….
मंगलवार को पुलिस ने शैंलेंद्र सिकरवार और शुभम भामोरी को न्यायालय में पेश किया और उनका रिमांड मांगा। जिस पर माननीय न्यायालय ने दोनों को 8 अप्रैल तक पुलिस को रिमांड पर सौप दिया है।
जगदीश जाएगा जेल हम निवाला हम प्याला की….
आज जगदीश परमार की रिमांड ख़त्म हो रही है और सम्भवतः उसकी पहली पसंद महिदपुर उपजेल ही है क्योंकि वहाँ के जेलर साहब से इसके बहोत पुराने याराना सम्बंध हैं। सूत्रों की मानें तो जेलर साहब के उज्जैन आगमन पर कई बार मैडम के निवास और एक दूसरे के घरों पर महफ़िल जमी हैं और कई शामें रंगीन हुई हैं। ऐसे में जगदीश परमार और जेलर एम.बी. का ये रिश्ता बहोत खुद्दारी से निभेगा और एक जेल अधिकारी का पारिदर्शी होने पर ठप्पा लगाएगा…????
फूल प्रसाद बेचने वाले के खाते में ट्रांसफर हुए थे लाखों रुपए…
इस कांड में रिपुदमन से पूछताछ के बाद पुलिस ने एक फूल प्रसाद बेचने वाले को गिरफ्तार किया जिसके खाते में 90 लाख रुपये ट्रांसफर हुए थे। सीएसपी अनिल मौर्य ने बताया कि शुभम कोरी निवासी भेरूगढ़ कालभैरव मंदिर के पास फूल प्रसाद की दुकान संचालित करता है। शुभम कोरी के खाते में रिपुदमन ने गबन के 90 लाख रुपये ट्रांसफर किये थे। वर्तमान में शुभम कोरी के खाते में कोई रुपये नहीं हैं। पुलिस को शुभम ने बताया कि खाते में रुपये ट्रांसफर करने के तुरंत बाद ही वापस निकाल लिये गये थे। शुभम का कहना है कि उसने कमीशन के लालच में खाता बेचा था।
एक और प्रहरी की सरगर्मी से तलाश जारी….
गबन कांड में नामजद आरोपी जेल प्रहरी घनश्याम अब भी फरार है। उसकी गिरफ्तारी पर भी 5 हजार का ईनाम घोषित है। सीएसपी मौर्य के अनुसार उषा राज और जगदीश परमार पर अब तक 3-3 केस दर्ज हो चुके हैं, जबकि अन्य आरोपी पूर्व से दर्ज मामलों में गिरफ्तार हो रहे हैं।
आवेदन पर आवेदन….
ग़बन कांड के साथ ही बंदियों को सताने ,अत्याचार करने ,उनसे अवैध वसूली करने और अमानवीयता की हदें पार करने के मामले भी रोज बाहर आ रहे हैं। मंगलवार को एक बार फिर उषा राज , जगदीश परमार और जेल सीओ बब्लू और शिवचरण के खिलाफ़ एक शिकायती आवेदन एसपी कार्यालय पहुंचा है जिसमें आशीष रघुवंशी नामक बंदी के परिजनों ने 80 हज़ार की अवैध वसूली और अत्याचार के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
सहायक जेलर पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं…
जेल में अवैध वसूली और नहीं देने पर बंदियों पर अत्याचार के मामले में भारतीय दंड विधान 1860 की धारा 384,385 की गिरफ़्त में अपने केस पाटर्नर जगदीश परमार के साथ आए सहायक जेलर प्रवीण मालवीय मंगलवार को बैखौफी से जेल में ड्यूटी पर तैनात रह कर बंदियों पर रौब झाड़ते रहे जबकि उसका सस्पेंशन उसका इंतज़ार करता रहा।
संजय पर मेहरबानी क्यों….????
भैरवगढ़ जेल में मैडम उषाराज और उसके गुर्गे जगदीश के एक तरफ़ा राज की कारगुजारियों की कहानी कैसे रोचक भी हैं और चौंकाने वाले भी हैं। ऐसे ही एक कारगुजारी थी यहॉं के एक अपने खासमखास सिपाही संजय व्यास को अष्टकोणीय अधिकारी मतलब सहायक जेलर के पॉवर के साथ कारगुजारियों के अंजाम तक पहुंचाने में लगाया गया था। संजय व्यास मैडम और जगदीश के हर काले कारनामों के गुनाह का गवाह और सहभागी भी है। तो फिर पुलिस ने इसे क्यों क्लीनचिट दे रखी है इस सवाल का जवाब कोई नहीं दे रहा है। इस पर बड़ा खुलासा हम अगले अंक में करेंगे….
लायसेंस के नाम पर भी लूट ….
बेमिसाल शातिर जगदीश परमार ने कलेक्टर और एडीएम के नाम पर कई लोगों को लाखों का चूना लगाया है। एक बेकरी संचालक से बंदूक के लायसेंस के नाम पर तीन लाख रुपए लिए थे और लाइसेंस आज तक नहीं नसीब हुआ । बेकरी संचालक के पास इसका ट्रांजेक्शन मौजूद है और एक फटाखे वाले से भी इस जगदीश परमार ने डेढ़ लाख रुपए एडीएम के नाम वसूले थे उसे भी लायसेंस नसीब नहीं हुआ है।
चलिए अब चलता हूँ फिर मिलने के वादे इरादे के साथ …तब तक आप अपना जलवा क़ायम रखें दुनिया जले तो जलने दें….
आप सुधि जल्वेदारों में से एक जल्वेदार….
जय कौशल उज्जैन (म.प्र.)