एक नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश की स्थापना हुई थी। इस साल एक नवंबर को राज्य अपना 68वां स्थापना दिवस मना रहा है। आचार संहिता की वजह से कोई बड़ा आयोजन नहीं हो रहा।
मध्य प्रदेश की स्थापना एक नवंबर 1956 को तीन राज्यों को मिलाकर की गई थी। राज्य पुनर्गठन आयोग ने तो जबलपुर को राजधानी बनाने की सिफारिश की थी। रायपुर, ग्वालियर और इंदौर भी बड़े शहर होने की वजह से होड़ में थे। कुछ समय तक जबलपुर को राजधानी माना भी गया, लेकिन बाद में तय हुआ कि जबलपुर नहीं बल्कि भोपाल राजधानी बनेगा। जबलपुर राजधानी क्यों नहीं बना, इसे लेकर कई बातें कही गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि जबलपुर को राजधानी बनाने की सबसे मजबूत पैरवी सेठ गोविंद दास ने की थी। उनके परिवार ने तो जबलपुर-नागपुर रोड पर सैकड़ों एकड़ जमीन भी खरीद ली थी, ताकि भविष्य में उन्हें फायदा हो सके। उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को यह रास नहीं आया। इसके अलावा यह भी कहा गया कि जबलपुर की इमारतें सरकारी कर्मचारी/अधिकारियों के लिए ठीक नहीं हैं। उस समय भोपाल के मुख्यमंत्री शंकरदयाल शर्मा थे, जो बाद में देश के राष्ट्रपति भी बने। शर्मा ने ही नेहरू जी को समझाया कि भोपाल ही राजधानी होनी चाहिए। मौलाना आजाद भी भोपाल से भावनात्मक रूप से जुड़े थे। विंध्य प्रदेश का समाजवादी आंदोलन कमजोर करने के लिए भी भोपाल मुफीद था। इन वजहों से जबलपुर राजधानी नहीं बन सका। बाद में विनोबा भावे ने जबलपुर को संस्कार धानी कहकर सांत्वना दी।