उज्जैन। माता हरसिद्धि का मंदिर देश के प्रमुख शक्तिपीठों में माना जाता है। शास्त्रों मे प्रचलित कथा के अनुसार उज्जैन के इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी जिससे चलते ये स्थान शक्ति की आराधना का बड़ा केंद्र बन गया। माता हरसिद्धि को उज्जैन के राजा सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी भी माना जाता है। करीब चार हजार साल पुराने इस मंदिर का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। यही वजह है कि माता के दरबार में नवरात्रि पर भक्तों का मेला लगता है। पुजारियों के मुताबिक माता हरसिद्धि का मंदिर शक्तिपीठ होने से भक्तों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।
माता हरसिद्धि की दिव्य प्रतिमा का नवरात्रि पर विशेष श्रंगार किया जाता है। सुबह और शाम विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। उसके बाद शाम सात बजे माता हरसिद्धि की भव्य आरती होती है। ढोल नगाड़ों के साथ माता के दरबार में नवरात्रि पर विशेष आरती होती। इस आरती में शामिल होने के लिए भक्तों की भारी तादात मंदिर में मौजूद रहती है।
वैसे तो माता हरसिद्धि के दरबार में रोजाना भक्तों का मेला लगता है लेकिन नवरात्रि में इनकी संख्या खासी बढ़ जाती है। नवरात्रि में माता हरसिद्धि के दरबार में नौ दिनों तक विशेष पुजा पाठ चलते हैं। देश-विदेश से भक्त आते है और माता हरसिद्धि से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। माता हरसिद्धि भी अपने दरबार में आने वाले भक्तों की मुरादे पूरी करती है।