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सूर्यास्त के पूर्व ही करें शारदीय नवरात्रि घट स्थापना

ByShri Mahakal Lok TV

Oct 14, 2023

उज्जैन। शारदीय नवरात्रि घट स्थापना एवं अखंड ज्योत शास्त्रीय मुहूर्त में प्रारंभ करें। प्रातः 7.18 से 9.18 चर, प्रातः 9.19 से 10.45 लाभ, प्रातः 10.46 से 12.12 अमृत, दोपहर 1.39 से 3.07 शुभ रहेगा। सूर्यास्त के पूर्व ही घट स्थापना करें।
पंचांगकर्ता ज्योतिषाचार्य पं चंदन श्यामनारायण व्यास ने बताया कि शारदीय नवरात्र अश्विन शुक्ल प्रतिपदा आज 15 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर तक रहेगी। साधक भक्त मंदिर एवं घरों में घट स्थापना कर माता की प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए अखंड ज्योत लगा कर मंत्र सिद्धि करते है। शुभ मुहूर्त और विधि विधान से की गई घट स्थापना सफलता देती है। इसलिए शास्त्रीय वैदिक रीति से ही घट स्थापना करें। पं. व्यास के अनुसार अखंड ज्योत एवं घट स्थापना के बारे में पहले अच्छी तरह जान लेवे क्या है इसके नियम उसके बाद ही इस तरह के विशेष अनुष्ठान करने चाहिये। घर में यदि माता की स्थापना की है और अखंड ज्योत लगा कर अपने नवरात्र का उपवास किया है तो घर में पवित्रता, शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। अपने आहार, विचार और व्यवहार में पवित्रता रखें। ध्यान रहे यदि अखंड ज्योत लगाई है तो अखंड ज्योत को अकेला ना छोड़े अर्थात उस के समीप रहे (उपवास अर्थात देवी या अपने आराध्य के समीप)। इन नवरात्र में महाअष्टमी 22 अक्टूबर रविवार को, महानवमी 23 अक्टूबर सोमवार को एवं विजियादशमी पर्व 24 अक्टूबर मंगलवार को रहेगा।
पं. चंदन व्यास ने बताया कि माता नव दिन के नव विशेष नैवेध्य अर्पित करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री का दिन होता है। इस दिन देवी मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है तथा सभी व्याधियां दूर होकर शरीर निरोगी रहता है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का होता है। इस दिन देवी मां को शक्कर का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं। इस भोग को देवी के चरणों में अर्पित करने के बाद परिवार के सदस्यों में बांटने से सभी की आयु में वृद्धि होती है। नवदुर्गा का एक रूप है चंद्रघंटा। मां के इस रूप का पूजन नवरात्रि के तीसरे दिन होता है। इस दिन मां को दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान करना शुभ होता है। इससे दुखों की मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा को नवरात्रि के चौथे दिन मालपुए का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं। इस भोग को मंदिर के ब्राह्मण को दान करना चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है। नवरात्रि का पांचवा दिन यानि मां स्कंदमाता का दिन। इस दिन माता जी को केले का नैवेद्य चढ़ाना बहुत उत्तम होता है। ऐसा करने से उत्तम स्वास्थ्य और निरोगी काया की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के छठवें दिन देवी मां को शहद का भोग लगाना बहुत अच्छा माना जाता है। इस दिन शहद का भोग लगाने से मनुष्य की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। नवरात्रि का सप्तम दिन देवी मां को गुड़ का भोग लगाएं। सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है। नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं और नारियल का दान भी करें। इससे संतान संबंधी सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और देवी मां की कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि के अंतिम दिन यानि नवमी तिथि के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलती है, साथ ही अनहोनी होने की घटनाओं से बचाव भी होगा।

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