उज्जैन। 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी है और इसके साथ ही दस दिनों तक श्रद्धालुओं के घरों में पूजा अर्चना होगी तथा विभिन्न संगठनों द्वारा गणेशोत्सव भी मनाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
ज्योतिषियों ने इस दिन को ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष बताया है। अमर डिब्बेवाला ने बताया कि मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि एवं स्वाति नक्षत्र, तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में गणेशजी की स्थापना होगी। इस दिन रवि योग भी रहेगा, जो स्थापना के समय विशिष्ट लाभ देगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन रविवार या मंगलवार पढ़ता हो तो उस योग में चतुर्थी प्रशस्त मानी जाती है। चतुर्थी से लेकर के चतुर्दशी तक का पुण्य फल विशेष रूप से प्राप्त होता है। पार्थिव गणेश प्रतिष्ठा करने में भद्रा से जुड़ा कोई भी दोष नहीं है। वैसे भी तुला राशि का चंद्रमा शुभ माना जाता है और सामान्यतः यह धन का कारक भी है, भद्रा के गणित से देखें तो यह पाताल वासिनी है। पाताल वासिनी भद्रा शुभ व धन कारक मानी गई है। इस दृष्टि से इस दिन इसका कोई दोष नहीं है। उत्सव के पर्व काल के दौरान यदि सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बनता हो तो पर्व की विशेषता बढ़ जाती है। इस दौरान तीन दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेंगे, जिसके अंतर्गत मनोवांछित उपासना साधना तथा अलग-अलग प्रकार की घर के उपयोगी सामग्री की खरीदी की जा सकती है।