उज्जैन। करीब पांच सौ से अधिक किसानों से रूपए लेने के बाद जमा नहीं कराने का मामला सामने आया है। अपने साथ धोखाधड़ी होने की जानकारी सामने आते ही किसान उग्र हो गए। हालांकि अब मामला पुलिस को भी सौंपे जाने की बात सामने आई है।
सेवा सहकारी संस्था मर्यादित लेकोड़ा उज्जैन जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर है। यहां सेक्रेटरी के पद पर पिछले 20 साल से निशिकांत चव्हाण पदस्थ है। किसानों ने बताया कि लेकोड़ा सहकारी संस्था में लेकोड़ा, लिम्बा, पिपलिया, ककरिया और मुंडला पांच गांव के 700 किसान रजिस्टर्ड हैं। यहां से सभी किसान केसीसी के जरिए लोन लेते रहते हैं। फसल आने पर जमा भी करते हैं। चूंकि निशिकांत चव्हाण लंबे समय से संस्था में था, इसलिए उस पर विश्वास हो गया था। लंबे समय से पदस्थ होने से निशिकांत ने किसानों का भरोसा जीता। किसान सेक्रेटरी पर आंख बंद करके भरोसा करते थे। यहां तक कि पैसे जमा करने के लिए वह सेक्रेटरी को ही दिया करते थे। विड्रॉल के लिए पर्ची पर हस्ताक्षर कर दे देते थे। निशिकांत उज्जैन से पैसे लाकर किसानों को दे देता था। सभी किसान समय-समय पर सोसायटी से लोन लेकर चुका भी देते थे। कुल मिलाकर निशिकांत संस्था और किसानों के बीच बिचौलिए का काम करता था। पिछले 6 महीने पहले लिए गए लोन की किस्त, बीमा और खाद-बीज की राशि किसानों से ले ली, लेकिन उनके खाते में जमा नहीं की। यही नहीं, निशिकांत ने बकायदा सील लगी हुई विड्रॉल और जमा पर्ची भी किसानों को लाकर दी। पिछले 5 महीने से निशिकांत चव्हाण संस्था में नहीं आ रहा था। हितग्राहियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। समय-समय पर पैसे जमा करने के मैसेज भी आते रहते थे। सूचना पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के एमडी विशेष श्रीवास्तव भी पहुंच गए। उन्होंने बताया कि आरोपी निशिकांत चव्हाण को निलंबित कर दिया है। आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करवाया जाएगा। एमडी का दावा है कि करीब दो करोड़ की राशि के गबन का मामला है। जल्द ही राशि की रिकवरी कर किसानों को लौटाई जाएगी।