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श्री महाकाल लोक के सम्पूर्ण दर्शन

उज्जैन में जय महाकाल की गूंज….आकर्षक रोशनी से दमका सवारी मार्ग

ByShri Mahakal Lok TV

Sep 10, 2023

उज्जैन। महाकाल की शाही सवारी सोमवार 11 सितंबर को धूमधाम से निकलेगी। इस अवसर पर जहां सवारी का विभिन्न स्थानों पर स्वागत किया जाएगा वहीं एक दिन पहले से ही सवारी मार्गों को आकर्षक रोशनी से दमका दिया गया है। सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों ने सवारी के स्वागतार्थ मंचों का निर्माण भी कर लिया है। इधर पुलिस व जिला प्रशासन ने भी व्यवस्थाओं को अंजाम दे दिया है।
महाकाल की सवारी को लेकर अधिकारियों ने चाक-चौबंद को लेकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। सबके काल को हरने वाले बाबा महाकाल की सोमवार को निकलेगी। पूरे सवारी मार्ग को दुल्हन की तरह सजाया है। इसी सवारी को लेकर प्रशासन ने भी तैयारी शुरू कर दी है पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने निर्देश दिये कि सवारी के पूर्व सभी स्वागत मंचों की चेकिंग की जाये। इस बार सवारी में चलने वाली भजन मण्डलियों में से हर सात मण्डलियों पर एक अधिकारी तैनात किया जायेगा। कमजोर और जर्जर मकानों की छतों और छज्जों पर लोगों को एकत्र न होने दिया जाये।

महाकाल की महिमा अपरंपार
ब्रह्माण्ड के तीनों लोकों में जिन तीन शिवलिंगो को पूज्य माना गया है, उसमें पृथ्वी लोक में भगवान महाकाल की प्रधानता है जो उज्जैन में साक्षत् विराजमान है। आकाशे तारकांलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्। मृत्युलोके महाकालं, सर्वलिंग नमोस्तुते।। अर्थत् आकाश में तारकालिंग, पाताल में हाटकेश्वर, तथा पृथ्वीलोक में महाकाल है। महाकाल की महानता सर्वव्यापी है। महाकाल तो महाकाल है वही जगत के स्रष्टा थी हैं। महाकाल को भूलोक की प्रधानता दिलाने में धर्म और ईश्वर के प्रति हमारी अटूट आस्था की अग्रणी भूमिका रही है। कालों के काल स्वयं कालचक्र के प्रवर्तक है। कालचक्र प्रवर्तको महाकाल: प्रतापन:। इस भूलोक में महाकाल कहां विराजित हैं इस जिज्ञासा की पूर्ति के लिए वराह पुराण में कहा गया है कि ” नाभिदेशे महाकालस्तन्नाम्ना तत्र वै हर:”। यह नाभिदेश उज्जैन ही है। उज्जैन का गौरव महाकाल है महाकाल की महिमा अपूर्व है। शिव पुराण के अनुसार द्वादश ज्योतिर्लिंगों में महाकाल प्रसिद्ध है क्योंकि वे स्वयं कालों के काल हैं। ज्योतिर्लिंग- सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्री शैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकलमो•.कारममलेश्वरम्।। परल्यां बैजनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारूकावने।। वाराणास्यां तु विश्वेशं त्रंयबकं गौमती तटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये।। एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:। सप्त जन्म कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।। ये द्वादश ज्योतिर्लिंग भारत को प्रत्येक दिशा से परिवृत्त करते हैं। जैसे केदारनाथ उत्तर में, रामेश्वर दक्षिण में, सोमनाथ पश्चिम में, मल्लिकार्जुन पूर्व में, मध्य में स्वयं महाकाल इसी प्रकार अन्य ज्योतिर्लिंग भी भारत की प्रमुख दिशाओं और कोण पर विराजमान हैं। महाकाल एवं ज्योतिष ज्योतिर्लिंग ज्ञान एवं प्रकाश का प्रतीक हैं ज्योतिर्लिंग का भी प्रतीक हैं, ज्योतिर्गणना के केन्द्र महाकाल हैं क्योकि ज्योतिर्लिंग बारह हैं, आदित्य बारह हैं, वर्ष के मास बारह हैं, ग्रह भी बारह हैं, एवं कुण्डली के गृह भी बारह हैं, ये सब मिलकर भारत के द्वादश भाव स्थान हैं, इसी प्रकार ये पुज्य हैं एवं अनादि काल से पूजे जा रहे हैं। ये बारह ज्योतिर्लिंग वाले स्थान कुण्डली के द्वादश भावों के समान विशेष महत्व वाले एवं फलदायी हैं। कुण्डली के द्वादश भावों के जो कारक हैं उनसे सम्बंधित समस्याओं का निराकरण द्वादश स्थानों पर स्थित शिवलिंग का पूजन, अर्चन, अभिषेक एवं जाप करने से ही हो जाता है। केवल दर्शन मात्र से ही समस्याओं का निराकरण हो जाता है। कर्क रेखा उज्जैन से ही गुजरती है, जिसके केन्द्र के रूप में कर्कराजेश्वर मंदिर विद्यमान है। महाकाल मंदिर क्षिप्रा नदी के समीप एक बडे़ क्षेत्र में स्थित है। यहां के ज्योतिर्लिंग की महत्ता इसलिये भी है कि यह एक मात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। गर्भगृह के तीन आलों में श्रीगणेश, श्री कार्तिकेय एवं मां पार्वती की चांदी की प्रतिमाएं हैं। इसकी आंतरिक छत पर चांदी से बना एक रूद्रयंत्र है। जिसके ठीक नीचे भगवान महाकालेश्वर का ज्योतिर्लिंग स्थित है। द्वार के ठीक सामने नन्दी की प्रतिमा है।

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