उज्जैन। सोमवार को एक बार फिर उज्जैन नगरी शिवमय होगी। अवसर होगा भूत भावन भगवान महाकाल की शाही सवारी निकलने का। लाखों श्रद्धालुओं का आगमन होगा तो वहीं जिन मार्गों से शाही सवारी गुजरेगी वहां वंदनवार बना दिए गए तथा आकर्षक रोशनी कर दी गई है। सवारी मार्गों पर स्वागत मंच भी बनाए गए है। जिला व पुलिस प्रशासन ने भी शाही सवारी की व्यवस्थाओं संबंधी तैयारियां कर ली है। शाही सवारी सात किलोमीटर का भ्रमण करेगी तथा सवारी की शुरूआत शाम 4 बजे मंदिर प्रांगण से पूजा अर्चना के बाद होगी।
भगवान महाकाल अपने दस स्वरूप में भक्तों को दर्शन देगें। शहर में करीब छह घंटे तक भक्ति का उल्लास छाया रहेगा। महाकाल की अंतिम शाही सवारी के लिए लाखों भक्त यहां पहुंचते है। प्रशासन ने सवारी मार्ग पर सुरक्षा और व्यवस्था के लिए अन्य शहरों से भी पुलिस बल बुलवाया है। वहीं सोमवार को सवारी निकलने के पूर्व यातायात भी डायवर्ट किया जाएगा। महाकाल मंदिर में दोपहर 3.30 बजे सभा मंडप में शाही सवारी की परंपरा अनुसार भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर व मनमहेश स्वरूप का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया जाएगा। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी राजाधिराज को सलामी देगी। इसके बाद शाही सवारी का कारवां शिप्रा तट की ओर रवाना होगा।
महाकाल के दस स्वरूप
शाही सवारी में भगवान महाकाल के दस स्वरूप रहेंगे। जिसमें चांदी की पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा, रथ पर श्री जटाशंकर, श्री रुद्रेश्वर स्वरूप, श्री चन्द्रशेखर स्वरुप व श्री सप्तधान का मुखारविंद सम्मिलित रहेगा। शाही सवारी में शामिल होने के लिए प्रदेश के कई शहरों से भजन मंडलियां आएंगी। सवारी के साथ करीब 70 भजन मंडलियां, पांच से अधिक बैंड शामिल होंगे।