उज्जैन। शहर के कृष्ण मंदिर आकर्षक रोशनी से दमक उठे है। गोपाल मंदिर से लेकर इस्काॅन और सांदीपनि आश्रम के साथ ही अन्य छोटे बड़े मंदिरों में आकर्षक रोशनी की गई है और इन सभी मंदिरों में बुधवार व गुरूवार के दिन जन्माष्टमी का उल्लास बिखरेगा।
दुर्लभ संयोग बने
ज्योषियों ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार बाल गोपाल का जन्म बुधवार, रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि, वृषभ राशि के संयोग में हुआ था। इस बार 6 सितंबर को चंद्रमा वृषभ राशि में होगा, अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र और बुधवार का संयोग भी बन रहा है। यह संयोग पूरे 30 साल के बाद बन रहा है। इसके साथ ही जन्माष्टमी पर रवि योग भी बनेगा और शनि देव भी अपनी स्वराशि कुंभ में होंगे।
शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन (इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे वह सफल और सिद्ध होंगे)
रवि योग – सुबह 6.01 – सुबह 9.20 (6 सिंतबर 2023)
जयंती योग – जब भी अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र होता है तो वह जयंती योग कहा जाता है। मान्यता है जयंती योग में जन्माष्टमी का व्रत पूजन करने से व्यक्ति के तीन जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।
बुधादित्य योग – जन्माष्टमी पर सूर्य और बुध सिंह राशि में रहेंगे, जिससे बुधादित्य योग बन रहा है।
जन्माष्टी पर ऐसे करें पूजा
स्नान आदि करने के साथ साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके साथ ही बाल गोपाल का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके साथ ही पूरे दिन इन मंत्र का जाप करें- ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये।।
जन्माष्टमी की रात को भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें इसके साथ ही जल और गाय के दूध से अभिषेक करें। अभिषेक करने के बाद मनमोहक वस्त्र पहनाएं। मुकुट पहनाएं और उसमें मोर पंख लगाएं। इसके साथ ही बांसुरी, वैजयंती माला रख दें। इसके बाद श्रीकृष्ण को चंदन लगाएं। चंदन के बाद पीले रंग के फूल, माला चढ़ाएं। इसके साथ ही भोग में लड्डू, माखन मिश्री, दही, दूध, मिठाई, मेवे, पीले रंग की मिठाई, आटा के पुए के साथ तुलसी दल चढ़ाएं। भोग के बाद जल अर्पित करें और गाय के घी का दीपक और धूप जलाएं। फिर अंत में बाल गोपाल की आरती कर लें और भूल-चूक के लिए माफी मांग लें। अंत में प्रसाद वितरण कर दें।