इस बार जन्माष्टमी का त्योहार 6 सितंबर को मनाया जाएगा। हालांकि दूसरे दिन भी 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इधर ज्योतिषियों ने यह भी बताया है कि जन्माष्टमी 6 सितंबर को रोहिणी नक्षत्र लग रहा है। यह इसलिए महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का भी जन्म इसी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म इसी दिन हुआ था। हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले लोग 6 सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे। इस दिन रोहिनी नक्षत्र भी है, ऐसा अद्भुत संयोग बनना बहुत शुभ है। वहीं वैष्णव संप्रदाय में श्रीकृष्ण की पूजा 7 सिंतबर को की जाएगी। जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा का विधान है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर की मध्यरात्रि 12:02 से मध्यरात्रि 12:48 तक है। इस तरह पूजा की अवधि केवल 46 मिनट की ही रहेगी। वहीं जन्माष्टमी व्रत पारण का समय 7 सिंतबर 2023 की सुबह 06:09 के बाद है।
पूजन विधि
इस दिन भगवान श्री कृष्ण को दूध और गंगाजल से स्नान करवाया जाता है और साथ ही नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।
इसके बाद उन्हें मोरपंख, बांसुरी, मुकुट, चंदन, वैजंयती माला, तुलसी दल आदि से सजाया जाता है।
इसके बाद उन्हें फल, फूल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग, मिठाई, मेवे आदि अर्पित करें।
फिर भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख दीप-धूप जलाएं।
आखिर में श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांटे।