नई दिल्ली। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कार्यों की निगरानी के लिए ड्रोन के उपयोग के लिए एक नई नीति तैयार की है।
बता दें, ड्रोन की मदद से जारी कामों की मॉनिटरिंग, पूरे हो चुके काम की जांच, काम का आकलन और शिकायत मिलने पर मामले की जांच की जाएगी। हालांकि, केंद्र सरकार इन ड्रोन्स के लिए राज्य सरकारों को अतिरिक्त फंड नहीं देगी, बल्कि राज्यों को मनरेगा के लिए दी जाने वाली राशि में से आकस्मिक खर्च के लिए होने वाले आवंटन से ही ड्रोन के लिए राशि तय की जाएगी।
लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें
मंत्रालय ने कहा कि मनरेगा में लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं। इनमें मजदूरों के स्थान पर मशीनों का इस्तेमाल किया जाना और बिना काम किए कुछ लोगों को वेतन मिलना शामिल हैं। ऐसे मामलों में ड्रोन सबूत जुटाने में मददगार होंगे। मंत्रालय ने अपने एसओपी में निर्देश दिया है कि इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन में उच्च गुणवत्ता वाला कैमरा होना चाहिए। आंशिक रूप से तेज हवाओं से बचने का भी सुझाव दिया गया है। ड्रोन को कम से कम 30 मिनट तक हवा में रहने में सक्षम होना चाहिए। डेटा विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिए ड्रोन से इकठ्ठा किए गए वीडियो और तस्वीरों को कलेक्ट करने के लिए एक सेंट्रलाइज डैशबोर्ड बनाने का भी प्रस्ताव रखा है।