उज्जैन। उज्जैन में एक बार फिर आस्था का सैलाब उमड़ेगा। वैकुंठ चतुर्दशी यानि, 25 नवंबर को श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी निकाली जाएगी। भगवान श्री महाकालेश्वर चांदी की पालकी में सवार होकर निकलेंगे। बाबा महाकाल की पालकी रात करीब 11 बजे निकाली जाएगी। सवारी गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। जहां हरि – हर मिलन होगा।
बाबा महाकाल और गोपाल का मिलन हरि – हर मिलन कहलाता है
उल्लेखनीय है कि शिव जी को हर और श्री विष्णु जी को हरि कहा जाता है। बाबा महाकाल और गोपाल का मिलन हरि – हर मिलन कहलाता है। पूजन की विधियां उज्जैन के श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में संपन्न की जाती हैं। इस दौरान श्री महाकालेश्वर सृष्टि संचालन का भार द्वारकाधीश गोपाल जी को सौंपेंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक और अपर कलेक्टर संदीप कुमार सोनी ने बताया कि हरि – हर मिलन में बाबा महाकालेश्वर बिल्व पत्र की माला गोपाल को भेट करेंगे और वैकुण्ठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा महाकाल को भेट करेंगे।
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माना जाता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करते हैं
मान्यता है कि, देवउठनी एकादशी के बाद वैकुण्ठ चतुर्दशी पर श्री महाकालेश्वर भगवान श्री द्वारकाधीश को सृष्टि का भार सौपते हैं। माना जाता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करते हैं । ऐसे में सृष्टि संचालन का भार भगवान देवाधिदेव महादेव के पास होता है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह जिम्मेदारी पुनः श्री विष्णु को सौंप देते हैं। इस दिवस को वैकुंठ चतुर्दशी, हरि-हर भेट भी कहते है।